मजदूर संगठनों ने श्रमिक विरोधी संहिताओं को रद्द करने की मांग, निकाला भव्य मार्च

नासिक: केंद्रीय मजदूर संगठनों के संयुक्त मंच के आह्वान पर बुधवार (9 जुलाई) को देशव्यापी हड़ताल और आंदोलन के तहत नासिक में एक भव्य मोर्चा निकाला गया। प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर श्रमिक विरोधी चार श्रम संहिताओं को तत्काल रद्द करने और मजदूरों व कर्मचारियों की ज्वलंत मांगों को पूरा करने की अपील की।
प्रमुख मांगें और आरोप
प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार पर श्रमिक विरोधी श्रम संहिताएं बनाने का आरोप लगाते हुए उन्हें तुरंत रद्द करने की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इन संहिताओं को लागू नहीं करना चाहिए। ‘जन सुरक्षा विधेयक’ को भी रद्द करने की मांग की गई, क्योंकि यह विधेयक संगठनों और मेहनतकशों की आवाज को दबाने के लिए इस्तेमाल हो सकता है।
मोर्चे के माध्यम से रखी गईं प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं
श्रमिक विरोधी श्रम संहिताओं को रद्द करें: 100 वर्षों के संघर्षों से प्राप्त मजदूर कानूनों को रद्द कर, कॉर्पोरेट-समर्थक, मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं को वापस लिया जाए। मजदूरों के पक्ष में कानून बनाए जाएं और उनका कड़ाई से पालन किया जाए। काम के घंटों में वृद्धि न की जाए। किसी भी क्षेत्र में निश्चित अवधि के रोजगार को मान्यता न दी जाए। मजदूर कानूनों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
ठेका प्रथा पर रोक और अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करना: बारहमासी स्थायी कामों में ठेका प्रथा पर रोक लगाई जाए। सरकारी, अर्ध-सरकारी, सार्वजनिक उद्योगों और सेवाओं, नगर पालिकाओं, महानगर पालिकाओं और निजी उद्योगों में वर्षों से काम कर रहे ठेका, मौसमी, दिहाड़ी, मानदेय पर कार्यरत ऐसे अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी किया जाए। समान और एक जैसे काम के लिए ठेका मजदूरों को नियमित मजदूरों के समान वेतन और अन्य लाभ दिए जाएं।
राष्ट्रीय संशोधित सेवानिवृत्ति योजना: राज्य की राष्ट्रीय संशोधित सेवानिवृत्ति योजना के संबंध में विस्तृत अधिसूचना/परिपत्र पारित किया जाए।
न्यूनतम वेतन और पेंशन: 8 घंटे के काम के लिए 30 हजार मासिक न्यूनतम वेतन, 10 हजार मासिक पेंशन, ईएसआई, पीएफ लागू किया जाए। ईपीएस 95 पेंशन धारकों को जीवनयापन के लिए न्यूनतम पेंशन 9 हजसा महंगाई भत्ते सहित लागू की जाए।
रोजगार और बेरोजगारी भत्ता: सभी को नौकरी या बेरोजगारी भत्ता दिया जाए। रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम उठाकर बेरोजगारी पर नियंत्रण पाया जाए। उद्योगों के लिए प्रोत्साहन पैकेज को रोजगार सुरक्षा से जोड़ा जाए।
निजीकरण पर रोक: सार्वजनिक क्षेत्र के उद्योगों या सेवाओं के निजीकरण को रोका जाए। रेलवे, बीमा और रक्षा क्षेत्र में सीधे विदेशी निवेश और निजीकरण बंद किया जाए।
रिक्त पदों पर भर्ती और आरक्षण: सभी सरकारी विभागों के साथ-साथ अर्ध-सरकारी क्षेत्रों में रिक्त पदों पर भर्ती की जाए। आरक्षण का सभी स्तरों पर क्रियान्वयन किया जाए। निजी क्षेत्र को भी आरक्षण लागू किया जाए।
महंगाई पर नियंत्रण: महंगाई रोकने के लिए सार्वजनिक वितरण व्यवस्था का सार्वभौमीकरण, वस्तुओं के बाजार में सट्टेबाजी पर प्रतिबंध जैसे तत्काल कदम उठाए जाएं।
राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति रद्द करें: राष्ट्रीय नई शिक्षा नीति को वापस लिया जाए. शिक्षा के निजीकरण और व्यवसायीकरण को बंद किया जाए। गैर-अनुदानित शिक्षण संस्थानों की पद्धति, ठेका प्रथा, मानदेय पर नौकरी और प्रति घंटा प्रणाली को बंद किया जाए।
योजना कर्मियों का नियमितीकरण: आशा, गट प्रवर्तक, आंगनवाड़ी कर्मचारी, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अभियान कर्मचारी, स्कूली पोषण आहार कर्मी, ग्राम रोजगार सेवक, अंशकालिक महिला परिचारिका, ठेका नर्सें, हैंड पंप मरम्मत कर्मचारी आदि सभी योजना कर्मियों का 45वें और 46वें भारतीय श्रम परिषद की सिफारिशों के अनुसार नियमितीकरण किया जाए। शिक्षक और गैर-शिक्षक कर्मचारियों की लंबित मांगों को स्वीकार किया जाए।
बुनियादी सेवाओं के निजीकरण के प्रस्ताव वापस लें: अस्पतालों सहित स्वास्थ्य सेवाओं, आईसीडीएस और एमडीएमएस सहित पोषण और शिक्षा जैसी मूलभूत सेवाओं के निजीकरण के प्रस्तावों को वापस लिया जाए।
असंगठित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा: निर्माण मजदूर, घरेलू कामगार, फेरीवाले, गन्ना काटने वाले, पावरलूम, बीड़ी मजदूर जैसे असंगठित मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम 10 हजार पेंशन की गारंटी दी जाए।
लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान: संगठन बनाने, सामूहिक मोलभाव करने और हड़ताल व आंदोलन करने के लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश न लगाया जाए। आवेदन के 45 दिनों के भीतर मजदूर संगठनों का अनिवार्य पंजीकरण किया जाए।
महिलाओं की सुरक्षा और समानता: सभी कार्यस्थलों पर महिलाओं को सुरक्षा की गारंटी, स्थानीय स्तर पर यौन उत्पीड़न विरोधी शिकायत निवारण समितियों का गठन किया जाए। कामकाजी महिलाओं के लिए अलग शौचालय और आराम कक्ष की सुविधा, सभी कामकाजी महिलाओं को महीने की सवेतन प्रसूति अवकाश, महिला कर्मचारियों वाली सभी संस्थाओं में क्रेच (बालवाड़ी) की सुविधा, समान या एक जैसे काम करने वाली महिलाओं और पुरुषों को समान वेतन दिया जाए।
महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक रद्द करें: लोकतंत्र और स्वतंत्रता पर हमला करने वाले महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक को वापस लिया जाए। इन मांगों के लिए बड़ी संख्या में मजदूर और कर्मचारी मोर्चे में शामिल हुए। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से तुरंत संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का अनुरोध किया।