छत्तीसगढ़राज्य

भारत माला परियोजना जमीन घोटाला…उमा तिवारी की अंतरिम ज़मानत का आवेदन खारिज

रायपुर। भारत माला सड़क परियोजना के लिए भू अर्जन हेतु राजपत्र में सूचना प्रकाशन के पश्चात जमीन दलाल हरमीत सिंह खनुजा ने जमीन दलालों व राजस्व अधिकारियों का सिंडिकेट बनाकर बड़ी- बड़ी जमीनों को छोटे- छोटे टुकड़ों मे बदलकर तत्कालीन भू अर्जन अधिकारी निर्भय साहू तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक व पटवारियों से मिलकर मुआवजा घोटाला कर सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान शासन को पहुंचाया है.मामले में एसीबी ईओडब्ल्यू ने शासकीय अधिकारियों व घोटाले में शामिल जमीन दलालो पर अपराध दर्ज कर जमीन दलाल हरमीत सिंह खनुजा, विजय जैन, उमा तिवारी व उसके पति कैदार तिवारी को ढाई माह पूर्व गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा है। आरोपी उमा तिवारी ने अंतरिम जमानत के लिए आवेदन लगाया था,लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए माननीय न्यायालय ने आरोपित की याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें ठाकुर रामचंद्र स्वामी, जैतु साव मठ का मुआवजा दो करोड़ तेरह लाख अठाईस हजार पांच सौ पैंसठ रुपए बना था जिसे उर्वशी तिवारी ने उमा तिवारी पिता स्व. विश्व नाथ पांडेय बनकर झूठा आवेदन व शपथ पत्र देकर तत्कालीन भू अर्जन अधिकारी निर्भय साहू से मिली भगत कर शासन से ले लिया था। जबकि उमा तिवारी के पिता नंद कुमार तिवारी जीवित है और ग्राम कंझेटा जिला कबीर धाम जिले में रहते हैं .करोड़ों का मुआवजा हड़पने के लिए उर्वशी ने नाम बदलकर उमा तिवारी व अपने पिता का नाम बदल कर विश्वनाथ पांडे रख लिया,उक्त मुआवजा राशि वास्तव मे रामचंद्र स्वामी मंदिर , जैतु साव मठ के नाम पर अवार्ड पारित होने से मंदिर को मिलना था , जिसे हरमीत सिंह खनुजा व विजय जैन के साथ मिलकर उमा तिवारी ने सबसे पहले जिला रिकॉर्ड रुम के नामांतरण पंजी में स्व. विश्वनाथ पांडेय की पुत्री उमा तिवारी पति केदार तिवारी होना बताकर व विश्वनाथ पांडे की संपत्ति ग्राम उगेतरा मे मंदिर से खऱीदना बताकर , ग्राम उगेतरा की वर्ष 1986 की राजस्व नामांतरण पंजी मे कुटरचना कर सन 2000 मे उमा तिवारी पति केदार तिवारी के नाम पर चढ़ा दिया गया जबकि उक्त वर्ष में उमा तिवारी की उम्र मात्र छह वर्ष थी छह वर्ष की उम्र में पति का नाम पर मंदिर की भूमि नामांतरण पंजी में दर्ज देखकर जाँच अधिकारियों का माथा ठनका तब सूक्ष्म जाँच में उमा तिवारी की शादी वर्ष 1998 में होने की बात सामने आयी , जबकि नामांतरण पंजी में बारह साल पहले 86 में ही पति केदार तिवारी का नाम दर्ज कर दिया गया था , फिर कबीरधाम जिले से पहली व छठवीं कक्षा की दाखिला पंजी निकालने से पता चला कि उमा तिवारी का असली नाम ओंकारेश्वरी है जिसने मंदिर का मुआवज़ा हड़पने के लिए अपना नाम बदल दिया था, शासन का मुआवजा सवा दो करोड़ आईसीआईसीआई बैंक महासमुंद के खाते मे आते ही तत्काल हरमीत सिंह खनुजा व विजय जैन गोलबाजार के खाते में ट्रांसफऱ कर दिया गया, एस .डी .एम . निर्भय साहू के लिए आभुषण ज्वेलर्स से तीस लाख का सोनेे का बिस्किट खऱीदा गया। हाईकोर्ट ने ईओडब्ल्यू एसीबी सहित मंदिर ट्रस्ट कमेटी के सत्यनारायण शर्मा, अजय तिवारी को अपना पक्ष एक माह में रखने नोटिस जारी किया है..मंदिर ट्रस्ट कमेटी द्वारा शीघ्र ही भू माफियाओं द्वारा मंदिर व शासन की राशि हड़पकर खऱीदी गई संपत्ति को जप्त कर वसूली करने की माँग की गई है।

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