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आदिवासियों की जल, जंगल जमीन और हितों की रक्षा करने में नाकाम है सरकार-आम आदमी पार्ट

सलवा जुडूम पुनर्वास, सरकार जंगल को किसी और के हाथ में देना चाहती है?-आम आदमी पार्टी

रायपुर, 29 जून 2025। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोपाल साहू ने छत्तीसगढ़ में
आदिवासियों की जल जंगल जमीन और उनके हितों की रक्षा करने में नाकाम है सरकार। सलवा जुडूम के उद्देश्य की पूर्ति हो चुकी है और जैसा सरकार बोल रही है कि 31 मार्च 2026 तक नक्सलमुक्त कर देंगें। इन क्षेत्रों में या जिन जिलों को नक्सलमुक्त कर चुके हैं और हर 5 किलोमीटर में फोर्स है तो जो लोग सलवा जुडूम में थे और जो गांव के गांव में विस्थापित हो गए वह लोग आज कहां हैं?

प्रदेश उपाध्यक्ष और जिला पंचायत सदस्य, कांकेर, देवलाल नरेटी ने सरकार से सवाल पूछा है कि पुनर्वास के तहत जो कैंप में गए थे उनकी वस्तु स्थिति क्या है? सरकार स्पष्ट करें! जो गांव वीरान पड़े हैं वो लोग कहां गए और अगर उनका पुनर्वास नहीं हो पाया है तो सरकार ने क्या कदम उठाए? कहीं इसके पीछे सरकार की मनसा जंगल को किसी और के हाथ में देने की तो नहीं? क्योंकि अगर वह पुनर्वास नहीं होते हैं तो इसका सीधा मतलब है कि किसी भी प्रकार के ग्राम सभा का आयोजन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार छत्तीसगढ़ की जनता को इसका जवाब देना चाहिए।

रायपुर लोकसभा अध्यक्ष अज़ीम खान ने कहा कि सलवा जुडूम आंदोलन के दौरान विस्थापित आदिवासियों के पुनर्वास मामले में स्थिति चिंताजनक बताते हुए कहा है कि 5 जुलाई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने सलवा जुडूम को गैरकानूनी घोषित करते हुए गाँवों से उठाए गए हथियार, असंवैधानिक गश्त दल तथा वंचित आदिवासियों के पुनर्वास की व्यवस्था करने के निर्देश दिए थे, मगर अब तक इन आदेशों का कोई ठोस अमल नहीं हुआ है,राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश को खामोशी से टाला जा रहा है।

लोकसभा महासचिव प्रदुमन शर्मा ने बताया कि 4 अप्रैल 2022 को CM भूपेश बघेल ने कहा कि जो आदिवासी आंध्रप्रदेश और तेलंगाना चले गए हैं, उन्हें वापस बुलाकर उचित जमीन, राशन कार्ड, नौकरी व बुनियादी सुविधाएं दी जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट के 2011 के आदेश और राज्य सरकार की 2022 की घोषणाएं अभी तक केवल कागज़ों तक सीमित हैं।
विस्थापित आदिवासी परिवारों को आज भी बुनियादी पहचान, भूमि, आवास, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रखा गया है।

लोकसभा कोषाध्यक्ष नवनीत नंदे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर तत्काल अमल हो, हथियार की रिकवरी और पुनर्वास योजनाओं का क्रियान्वयन होना चाहिए।
विस्थापित आदिवासियों को पैटेंट भूमि, लाभार्थ पहचान, और योजनाओं के समेकित लाभ देना चाहिए। और एक संयुक्त मॉनिटरिंग समिति (राज्य + केंद्र + NHRC + स्थानीय समिति) द्वारा कार्रवाई की निगरानी और समयबद्ध रिपोर्टिंग होनी चाहिए।

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